Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi 2023

Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, नीलकंठ, महादेव आदि नामों से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं। उन्हें त्रिमूर्ति में ब्रह्मा और विष्णु के साथ तीनों देवों का एक रूप माना जाता है। भगवान शिव के चरणों में ही सृष्टि, स्थिति और संहार का सिद्धांत प्रकट होता है।

शिव जी की स्तुति का महत्व

Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi का महत्वपूर्ण अर्थ होता है, क्योंकि यह हमें भगवान शिव के गुणों, महत्व और उनके भक्ति मार्ग को समझने में मदद करता है। शिव स्तुति के माध्यम से हम उनकी आराधना करते हैं और उनके शिवलिंग की पूजा करके उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह स्तुति हमें एक ऊँचे दर्जे के भक्त बनने की मार्गदर्शना प्रदान करती है, जो आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में हमें आगे बढ़ने में मदद करती है।

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।।


इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितो वेदसारशिवस्तवः संपूर्णः ॥

Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi Meaning

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

अर्थ- पशुओं के पति, पापों का नाशक, परमेश्वर, गजेन्द्र के कृत्ति की वासना धारण करने वाले, जटाजूट में सुन्दरता से अलंकृत, गंगा के वारि के समान चमकते हुए, महादेव को मैं स्मरण करता हूँ।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।

अर्थ- इस श्लोक में विशेष देवता भगवान शिव का संबंधित रूप और गुणों का वर्णन किया गया है। यहाँ पर उनके विभूतियों का भी वर्णन किया गया है जो उनके शरीर के भूषण के रूप में हैं। इसके साथ ही उनके विभिन्न रूपों का वर्णन भी किया गया है, जैसे कि विरूपाक्ष, इन्द्र, अग्नि, सूर्य, चंद्रमा, और पञ्चवक्त्र आदि। भगवान शिव को सदानन्दमय और प्रभु रूप में वर्णित किया गया है।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।

अर्थ- इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें उनके गिरीश, गणेश, गवेन्द्राधिरूढ़, भवानीकलत्र, और पञ्चवक्त्र रूपों का वर्णन किया गया है। उनकी नीली रंग की वर्णना भी की गई है और उनके शरीर के अंगों की भूषणों का वर्णन भी दिया गया है। इसके साथ ही उनके गुणों की अतीतता का भी वर्णन किया गया है जैसे कि उनका भवं, भास्वरं और भस्मना रूप।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।
अर्थ- इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न नामों और गुणों का वर्णन किया गया है। उन्हें शिवाकान्त, शंभु, शशाङ्कार्धमौले, महेश, शूलिञ्जटाजूटधारी आदि नामों से पुकारा गया है। इसके साथ ही उनके एकत्व और विश्व में व्याप्ति का वर्णन भी किया गया है, और उनसे प्रार्थना की गई है कि वे प्रसन्न हों और पूर्णरूप में प्रकट हों।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।।
अर्थ – इस श्लोक में परब्रह्म (परात्मा) का वर्णन किया गया है, जो एक है, जगत् का बीज है, आदि है, निरीह है, निराकार है, और ओंकार से जाना जाता है। विश्व का जन्म, पालन और संहार उसी परब्रह्म से होता है, और जिसके द्वारा ही विश्व बना है, उस परब्रह्म (ईश्वर) की पूजा की जाती है और जिसमें विश्व लीन हो जाता है।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।।

अर्थ – इस श्लोक में व्यक्ति के शरीर, अंतरात्मा और आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि व्यक्ति के पास भूमि नहीं है, धनुष नहीं है, अग्नि नहीं है, वायु नहीं है, आकाश नहीं है, तन्द्रा नहीं है, निद्रा नहीं है। उसके पास गर्मी नहीं है, ठंडी नहीं है, कोई विशेष स्थान नहीं है, कोई विशेष वस्त्र नहीं है, जिसके आदि में जीवन के आधार वस्तुएँ होती हैं। उसका स्वरूप त्रिमूर्ति में निहित है, जो शिव, विष्णु और ब्रह्मा के रूप में प्रकट होता है।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।।

अर्थ – इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न गुणों और स्वरूप का वर्णन किया गया है। उन्हें अज, शाश्वत, कारण, शिव, भासक, तुरीय, परम, पावन और द्वैतहीन आदि गुणों से पुकारा गया है। यहाँ पर उनकी अविनाशी और अद्वितीय स्वरूप की महत्ता और उनके परम पदावलि की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।।

अर्थ – इस श्लोक में ईश्वर की महिमा और गुणों की महत्ता का वर्णन किया गया है। इसमें ईश्वर के विभूतिरूपी विश्वमूर्ति स्वरूप का स्तुति किया गया है, जिन्हें चिदानंदमूर्ति (चेतना और आनंद की मूर्ति) भी कहा गया है। विभो का अर्थ है ‘सर्वव्यापी’ या ‘अद्वितीय’, जिससे ईश्वर की अनन्तता का बोध होता है। इसके साथ ही उनके तपोयोग की महिमा और श्रुति और ज्ञान में उनके स्वरूप की प्रशंसा भी की गई है।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।
अर्थ – इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न नामों का स्तुति किया गया है। उन्हें प्रभु, शूलधारी, विभो, विश्वनाथ, महादेव, शंभु, महेश, और त्रिनेत्र के नामों से पुकारा गया है। शिव को शान्त, स्मरारे, पुरारे (अर्जुन को बाणासुर के वध में मदद करने वाले), त्वदन्यो (तुम्हारे सिवा), वरेण्यो (अद्वितीय विशेषण वाले), न मान्यो (समान्य नहीं), न गण्य: (नहीं गिना जा सकता) कहा गया है। यह श्लोक भगवान शिव के महत्व और उनके अद्वितीयता की महत्वपूर्ण प्रशंसा को व्यक्त करता है।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।।

अर्थ – इस श्लोक में भगवान शिव के विभिन्न नामों का स्तुति किया गया है और उनके गुणों की महत्वपूर्ण प्रशंसा की गई है। उन्हें शंभो, महेश, करुणामय, शूलपाणी (जिनके हाथ में त्रिशूल है), गौरीपति (गौरी के पति), पशुपति (पशुओं के प्रमुख), पशुपाशनाशिन् (पशुपाश का नाश करने वाले), काशीपति (काशी के पति), और महेश्वर (महेश) के नामों से पुकारा गया है। इसके साथ ही उनकी करुणा का वर्णन किया गया है और यह प्रकट किया गया है कि वे इस जगत् में एकमात्र हैं और हम सब उनका आत्मा हैं।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।।

अर्थ – इस श्लोक में भगवान शिव की महिमा और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसके अर्थ में कहा गया है कि यह जगत् आपकी शक्ति से ही उत्पन्न होता है, और जगत् का संरचनात्मक स्थिति में रहने वाले ईश्वर भगवान शिव ही हैं। इस जगत् का लय (समाप्ति) भी आपके द्वारा ही होता है, जो इस जगत् के सृष्टिकर्ता और लिङ्गरूपी आत्मा के रूप में प्रकट होते हैं, और सभी चराचर (जीव और अजीव) विश्वरूप ईश्वर के अंश माने जाते हैं।

शिव जी की स्तुति के फायदे

शिव जी की स्तुति का अध्ययन करने से हमें आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलती है। यह हमें नेत्र और मानसिक शांति प्रदान करता है और हमारे मानसिक तंत्र को शुद्धि देने में सहायक होता है। शिव स्तुति का अध्ययन करने से हमारे जीवन में सकारात्मकता आती है और हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। यह हमें शक्ति और साहस की प्राप्ति में मदद करता है और हमें अवसाद और निराशा से बाहर निकलने में सहायक साबित होता है।

शिव जी की स्तुति का पाठ कैसे करें

Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi को पढ़ने से पहले, हमें एक शुद्ध और प्राकृतिक वातावरण में बैठकर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रारंभ में, हम अपने मन को शांत करके शिव जी का ध्यान करते हैं, और उनकी महिमा को स्तुति करते हैं। स्तुति के पठन में ध्यान केंद्रित करने से हमारी आत्मा को शांति मिलती है और हम उनके प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करते हैं।

आखिरी शब्द

शिव जी की स्तुति एक माध्यम है जिसके माध्यम से हम भगवान शिव के महत्वपूर्ण गुणों को समझ सकते हैं और उनकी भक्ति में आगे बढ़ सकते हैं। यह हमें आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है। इसलिए, शिव जी की स्तुति को नियमित रूप से पढ़कर हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में निरंतर बढ़ा सकते हैं।

सारांश

Shiv Ji Ki Stuti Lyrics In Hindi इस लेख में हमने शिव जी की स्तुति के महत्व, फायदे, और पाठ करने के तरीके पर विस्तार से चर्चा की। भगवान शिव के गुणों को समझने और उनके प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने के लिए शिव स्तुति एक अद्वितीय माध्यम है। इसके साथ ही, शिव जी की स्तुति का अध्ययन करने से हम आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलती है।

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